अभिनय के धुरंधर व अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. सतीश जॉर्जी कश्यप जब मोहग्रस्त अर्जुन को मोह से निकालकर युद्ध के प्रेरित करते हैं और उसे गीता का ज्ञान प्रदान करते हैं तो इस स्वांग के एक-एक भाग को दर्शक बड़ी ही मुग्धता से टकटकी लगाए देख रहे होते हैं। मौका था स्टेज एप व सुप्पोर्ट्स फॉक थियेटर ऑफ इंडिया द्वारा श्री राधा कृष्णा बड़ा मंदिर में आयोजित ‘स्वांग कृष्णा’ के आयोजन का। स्वांग में डॉ. सतीश कश्यप ने श्री कृष्ण व कमलदीप खटक ने अर्जुन की भूमिका निभाई।

वहीं संगीत में प्रीतपाल शर्मा, ढोलक पर राजेश मसीह, नगाड़ा पर राजेश खन्ना, कोरस में विभोर भारद्वाज, संजना कश्यप, पूजन, प्रणव, परि तथा गोपी डॉ. रोली भारद्वाज का विशेष योगदान रहा। हरियाणवी में इस स्वांग का अनुवाद पंडित सूर्यभानु शास्त्री व वी.एम. बेचैन ने किया तथा पटकथा डॉ. सतीश कश्यप ने तैयार की। स्वांग में डॉ. रामकुमार यादव व पवन रावलवासिया का विशेष सहयोग रहा।

दर्शकों से खचाखच भरे श्री राधा कृष्ण बड़ा मंदिर के प्रांगण में जब डॉ. सतीश कश्यप हाथ में इकतारा लेकर सिर पर मोर पंखी टोपी पहनकर स्वांग की पारंपरिक वेशभूषा में मंच पर आए और अपना संवाद प्रस्तुत किया तो श्रद्धालुओं ने तालियों से उनका जोरदार स्वागत किया। इसके बाद अर्जुन बने कमलदीप खटक ने स्वांग में एंट्री की। दोनों के सरल, मार्मिक, चुटिले, गहरे अभिनय ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

अभिनय के विभिन्न रंग, पुरातन स्वांग की शैली व भाव भंगिमाओं से डॉ. सतीश कश्यप ने दर्शकों के मन पर अमिट छाप छोड़ दी। स्वांग में जो अर्जुन अपने संगे-संबंधियों को देखकर युद्ध नहीं लडऩे की रट लगाए हुए था उसे भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा, कर्म, ज्ञान योग, भक्ति योग आदि का ज्ञान देकर गांडिव उठा लेने के लिए तत्पर कर दिया। श्री कृष्ण बने डॉ. कश्यप ने न केवल हरियाणवी बल्कि गीता के विभिन्न श्लोकों को संस्कृत में शुद्ध उच्चारण करके अपने संस्कृत ज्ञान का परिचय कराया। उन्होंने संस्कृत श्लोक के साथ ही स्वांग शैली में उसके हरियाणवी अनुवाद से गीता के गूढ़ ज्ञान को बड़ी सरलता से दर्शकों के सामने रख दिया।

जो अर्जुन मोहांध होकर युद्ध नहीं करने की कहकर जमीन पर बैठ गया था वह आंखों में ज्वाला लेकर युद्ध के लिए उद्धत हो गया। अर्जुन का अभिनय कर रहे कमलदीप खटक ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। मंदिर परिसर में तालियां की गडग़ड़ाहट लगातार गूंजती रही और अनेक दर्शक भावुक नजर आए। स्वांग के बीच-बीच में जब डॉ. सतीश कश्यप व अन्य कलाकार ‘ये है गीता का ज्ञान, ये है गीता का ज्ञान’ का गायन पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ करते तो दर्शक भी उसके साथ जुडक़र साथ गाने लगते और तालियां बजाने लगते।

डॉ. सतीश कश्यप कृष्णा स्वांग में तो अर्जुन के सारथी बने ही वे भारत की प्राचीनतम लोक नाट्य परंपरा स्वांग को आगे बढ़ाने में भी सारथी की भूमिका निभा रहे हैं। 300 साल पुरानी देश की स्वांग परंपरा को वे धरोहर के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। वे अब तक स्वांग के हजारों शो देश के कोने-कोने में कर चुके हैं। इसके साथ ही सिडनी सहित अनेक देशों में भी विभिन्न भाषाओं में उनके शो आयोजित किए जा चुके हैं। अब उनका अगलो शो ऑस्टे्रलिया में होगा।

इस मौके पर मंदिर के महंत राहुल शर्मा, राकेश अग्रवाल, मनीष गोयल, विशाल अग्रवाल, भजन सम्राट मोहन तनेजा तथा महिलाओं व बच्चों सहित अनेक लोग उपस्थित थे जिन्होंने स्वांग का खूब आनंद उठाया और देर रात्रि तक सभी दर्शक मंदिर प्रांगण में जमे रहे। मंदिर की ओर से डॉ. सतीश कश्यप व उनकी पूरी टीम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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