नेशनल आरटीआई अवार्डी 12 क्वार्टर निवासी रमेश वर्मा ने एक स्टिंग ऑपरेशन करके दावा किता है की हरियाणा में हिसार तहसील कार्यालय में इंतकाल के नाम पर निर्धारित 300 रुपये के शुल्क के स्थान पर जबर्दस्ती 400 रुपये वसूलने के मामले का खुलासा किया है। उन्होंने इस बारे में विजिलेंस के पुलिस महानिदेशक, हिसार उपायुक्त व हिसार के पुलिस अधीक्षक को शिकायत भी कर दी है और जांच के दौरान मांगने पर पूरे घटनाक्रम की वीडियो भी उपलब्ध करवाने के लिए कहा है।

अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि पिताजी के देहांत के बाद सोमवार 13 मार्च को अपने मकान के इंतकाल के लिए शपथ-पत्र तैयार करवाया, उसको अपने साथी एडवोकेट कुमार मुकेश के माध्यम से तहसील में शपथ पत्र सत्यापित करवाया। इसके बाद शपथ-पत्र को तहसीलदार से सत्यापित करवाया और फिर दोपहर करीब 3 बजे कमरा नंबर 110 के बाहर बनी खिड़की पर इंतकाल दर्ज करने की कार्रवाई के लिए गया तो वहां पर करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार करवाया और यह भी कहा कि आज आपका काम नहीं हो पाएगा।
इसके बाद बारी का इंतजार किया और करीब डेढ़ घंटे बाद बारी आई और वहां पर बैठे कर्मचारी ने कंप्युटर से फोटो ली और 400 रुपये मांगे और फिर 300 रुपये की रसीद दे दी। जब क्लर्क से कहा कि सरकारी फीस तो 300 रुपये है तो उसने कहा कि 100 रुपये रपट की फीस है और 400 रुपये ही लगते हैं। उन्होंने बताया कि इस पूूरी बातचीत की उन्होंने अपने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली और बाद में तुरंत उपायुक्त कार्यालय में जाकर शिकायत कर दी और विजिलेंस पुलिस महानिदेशक तथा हिसार पुलिस अधीक्षक को स्पीड पोस्ट से शिकायत भेज दी।
पार्षद के जाने के बाद ली रिश्वत
-इंतकाल के इस कार्य के लिए रमेश वर्मा के साथ वार्ड नंबर 6 के पार्षद उमेद खन्ना साथ गए लेकिन यह सारा वाक्या उनके जाने के बाद हुआ। क्लर्क ने सबसे पहले कंप्युटर के माध्यम से पार्षद की फोटो ली और उनको भेज दिया। इसके बाद रमेश वर्मा की फोटो ली और 300 के स्थान पर 400 रुपये ले लिए।
ऐसे हुआ पूरा घटनाक्रम
पार्षद की फोटो करवाने के बाद रमेश वर्मा ने अपनी फोटो करवाई। इसके बाद क्लर्क से पूछा कि कितने रुपय हो गए?
क्लर्क: 400 रुपये।
इसकेे बाद रमेश वर्मा ने 500 रुपये का नोट दिया तो क्लर्क ने 100 रुपये वापस दे दिए और 300 रुपये की रसीद दे दी। इस पर रमेश वर्मा ने पूछा कि सरकारी फीस तो 300 रुपये है?
क्लर्क: 100 रुपयेे रपट के हैं।
रमेश वर्मा: ठीक है।
बात 100 रुपये की नहीं बल्कि लाखों रुपये मासिक की है
-हालांकि एक इंतकाल पर 300 रुपये के स्थान पर 400 रुपये मांगने पर आम आदमी शिकायत इसलिए नहीं करता कि 100 रुपये के लिए कौन अधिकारियों के चक्कर लगाए। लेकिन बात यह सिर्फ 100 रुपयेे की नहीं बल्कि लाखों रुपये मासिक की है। एक खिड़की पर एक व्यक्ति से 100 रुपये की रिश्वत ली जा रही है तो प्रतिदिन यह कई हजारों रुपये में हो जाती है और एक माह में एक लाख रुपये से भी ज्यादा की बनती है।
शपथ-पत्र सत्यापन की फीस दस रुपये, ले रहे हैं बीस रुपये
-रमेश वर्मा ने बताया कि विंडो नंबर 110 में कागजात जमा करवाने से पूर्व शपथ पत्र का सत्यापन एडवोकेट कुमार मुकेश की मौजूदगी में विंडो नंबर 102 में करवाया गया था। यहां पर बैठे क्लर्क ने उनकी और एडवोकेट की फोटो ली और फिर बीस रुपये की फीस मांगी। मौके पर फीस से संबंधित कोई नोटिस चस्पा नहीं है लेकिन बाद में जब जानकारी हासिल की तो पता चला कि इस कार्य के लिए दस रुपये फीस निर्धारित है।
काम इंतकाल का था, रजिस्ट्री होती तो होता बड़ा खुलासा
-रमेश वर्मा ने कहा कि उनके पास तहसील में सिर्फ इंतकाल का काम था, इसलिए दस रुपये और सौ रुपये की रिश्वत का मामला उजागर हुआ है। यदि तहसील में रजिस्ट्री आदि का कार्य होता तो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी बड़े रिश्वतकांड का भंडाफोड़ हो जाता। इसलिए प्रशासन व सरकार को समय-समय पर स्वयं इस तरह के स्टिंग ऑपरेशन करवाने चाहिए।
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