किसान सभा के जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार व तहसील प्रधान सूबेसिंह बूरा ने प्रेस को बताया कि सरकारी एजेंसियों ने किसानों की सरसों की फसल की एक दाने की भी सरकारी खरीद नहीं की। पूरी की पूरी खरीद आढ़तियों के माध्यम से सरकारी एजेंसियों ने खरीदी। किसानों की सरसों की फसल ओने-पोने दामोंं में आढ़तियों द्वारा खरीददारी करके सरकारी एजेंसियों को 5450 रुपये में बेची गई।

जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार ने बताया कि किसानों की सरसों की फसल ऑनलाइन न दिखाकर सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। 10 एकड़ जमीन में जिस किसान की सरसों थी, उस किसान की एक एकड़ में सरसों की फसल दिखा रखी है। इस प्रकार किसान बकाया 9 एकड़ की सरसों को खुले बाजार में 4700-4800 तक बेचने में मजबूर है। आज किसान सभा का प्रतिनिधिमंडल नई अनाज मंडी में किसानों से व सरकारी एजेंसियों से मिला व लूटपाट के बारे में बातचीत की तो हैफेड व कान्फैड के कर्मचारियों ने बताया कि न तो हमारे पास खरीदने के साधन हैं और न ही लेबर है और न ही समय है। हमने तो पूरी सरसों की फसल आढ़तियों के माध्यम से खरीदी है।

तहसील प्रधान सूबेसिंह बूरा ने बताया कि इसी प्रकार गेहूं की फसल भी सरकारी एजेंसियों द्वारा न खरीदकर आढ़तियों के माध्यम से गेहूं की खरीद हो रही है। एक क्विंटल पर 150-200 रुपये आढ़ती किसानों को कम दे रहा है। सरकारी खरीद न होने के कारण किसानों का अरबों रुपये सरसों व गेहूं के नाम पर आढ़तियों की जेब में डाल दिया। किसान सभा इस सारे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करती है और न्याय न मिलने पर बड़ा आंदोलन शुरु करेगी। प्रतिनिधिमंडल में आनंद देव सांगवान, बलराज सहरावत, सतबीर रुहिल, रमेश मिरकां, सज्जन सिंह थानेदार, प्रकाश गढ़वाल, ईश्वर सिंह फौगाट आदि शामिल रहे।
About The Author














