गांव बनभौरी मंदिर के नजदीक लोगों की आस्था से जुड़े 100 साल पुराने जाल के पेड़ को गांव की सरपंच द्वारा पंचायती जमीन बेचने के लिए कटवा देने पर ग्रामीणों ने इसे लोगों की आस्था से खिलवाड़ बताया और जिला उपायुक्त से मिलकर इस संबंध कार्यवाही की मांग की है। ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ कार्यवाही के लिए लिखित में शिकायत दी। गांव वासियों रणवीर पुत्र जगपाल, कृष्ण, महाबीर, महिपाल, रामनिवास, बलवंत, पवन, अनिल, सतबीर, राजा, राममेहर रामफल, सुशील आदि ने बताया कि उनके गांव बनभौरी में माता बनभौरी मंदिर के पास 100 वर्ष पुराना हरा जाल का पेड़ था जिसमें गांव के साथ-साथ व अन्य प्रकृति प्रेमियों की गहरी आस्था जुड़ी हुई थी।

उक्त ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गांव की सरपंच ने पंचायती जमीन को नाजायज तरीके से बेचने के लालच में जेसीबी से उस हरे पेड़ को कटवा दिया जिसको लेकर ग्रामवासियों सहित श्रद्धालुओं को गहरी ठेस पहुंची है। सभी ग्रामवासी उस पेड़ को अपने पूर्वज की तरह मानते थे। सनातन धर्म में मान्यता है कि एक हरे पेड़ को काटना हजारों जिंदगियों को संकट मैं डालने जैसा है। पुराने समय में पहले जब लोग बैल गाडिय़ों से माता के दर्शन के लिए आते थे, तो गांव के चारों तरफ लगे हरे पेड़ों के नीचे अपना बसेरा करते थे। सरपंच ने धार्मिक मान्यता का अति प्राचीन जाल का पेड़ कटवाकर यह साबित कर दिया कि उनके लिए ग्रामीण लोगों की पौराणिक धरोहर के प्रति आस्था व प्रकृति की सुंदरता कोई मायने नहीं रखती, इसलिए उन्होंने एक जीवित पेड़ को जो सैकड़ों वर्षों से हजारों लोगों को ऑक्सीजन देने का काम कर रहा था काल की भेंट चढ़ा दिया।
ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त से मांग की कि इस मामले में सरपंच सहित जो लोग भी दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में कोई भी प्रकृति को नुकसान पहुंचाने का साहस न कर सके। इस घटना से समस्त ग्रामवासी आहत हैं और हरा पेड़ कटने से उन्हें गहरी ठेस को पहुंची है।
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