हिसार। निकटवर्ती गांव तलवंडी राणा की श्मशान भूमि पर सरकारी कर्मचारियों के कब्जे का मामला अब प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के दरबार में उठेगा। मामले में ग्रामीणों ने गांव तलवंडी राणा के 16 पंचों एवं कुछ पूर्व पंचोंं एवं दूसरे जनप्रनिधियों ने पांच मई 2023 को इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली, जिला उपायुक्त हिसार के अलावा गृहमंत्री अनिल विज को भी शिकायत भेज कर गांव के श्मशान घाट को अवैध कब्जा मुक्त करवाने की गुहार लगाई थी। मामले में सवा माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी कोई कार्यवाही न होने से नाराज तलवंडी राणा के ग्रामीणों ने दोबारा से गृह मंत्री को शिकायत रिमाइंडर भेजा है।

उसके बाद हरकत में आए गृहमंत्री ने तलवंडी राणा के श्मशान घाट की जमीन कब्जा मुक्त करवाने की तैयारी कर ली है, वहीं इस जमीन को कब्जाने वाले कर्मचारियों एवं मामले को लंबे समय तक लटकाने वाले अधिकारियों की पहचान करने के जिम्मेवारी तय कर दी है। गृहमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार या तो यह मामला जल्द ही सुलझ जाएगा, वरना इस बार की कष्ट निवारण समिति की बैठक में यह मुद्दा कईयों पर गाज गिराने के लिए काफी रहेगा। गृहमंत्री कार्यालय फिलहाल यह जानने में जुटा है कि आखिरकार यह मामला कितने दिनों तक किस स्तर के अधिकारी ने दबाये रखा है। गृह मंत्रालय गुप्त स्तर पर यह जांच करवाने में जुटा है कि क्या वास्तव में श्मशान भूमि की जमीन पर कब्जा है। साथ ही कब्जाधारी कर्मचारियों एवं उनके परिजनों की संपूर्ण जानकारी भी एकत्र की जा रही है।
मामले में गृहमंत्री अनिल विज ने शिकायतकर्ता पंचों एवं अन्य ग्रामीणों को इस जमीन पर कब्जे संबंधित फोटोग्राफ, दस्तावेज या दूसरे प्रकार के सबूत प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इस मामले में तलवंडी राणा के कुछ पंच अनिल विज से अम्बाला या चण्डीगढ़ उनके कार्यालय में भी मुलाकात करेंगे।

गृहमंत्री को भेजी गई शिकायत के अनुसार वर्तमान के 16 पंचों, पूर्व पंचों एवं ग्रामीणों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद जिला प्रशासन कब्जाधारी कर्मचारियों को जमीन खाली करने तक का नोटिस तक जारी नही कर पाया है। शिकायत के अनुसार ये सरकारी कर्मचारी/अधिकारी बड़े पदों पर तैनात हैं और इनके खिलाफ कार्यवाही करने से जिला प्रशासन बचता आ रहा है। जनप्रतिधियों एवं तीन अन्य शिकायतों के अनुसार तलवंडी राणा के कुछ सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों, उनके परिजनों एवं एक दर्जन के करीब लोगों पर श्मशान घाट की पांच-छह एकड़ पर कब्जा कर रखा है। अलग-अलग शिकायतों के अनुसार कब्जा धारक कर्मचारी वर्तमान में जिला प्रशासन के मुख्य अधिकारियों के चहेते हैं और उनकी शह पर ही इन कर्मचारियों ने श्मशान भूमि कर कब्जा कर रखा है। इन चारों शिकायतों का सार देखे तो तलवंडी राणा मुख्य श्मशान भूमि की करीब पांच-छह एकड़ पर सरकारी कर्मचारियों एवं उनके परिजनों का कब्जा है, और ये प्रत्येक वर्ष खेती की जुताई एवं बिजाई की आड़ में आधे से एक एकड़ जमीन ओर कब्जा लेते हैं।
तीन-तीन शिकायतें, कार्यवाही जीरो
बड़ी बात यह है कि तलवंडी राणा की श्मशान भूमि को सरकारी कर्मचारियों एवं उनके परिजनों के कब्जे से छुड़वाने के लिए गांव के पंचों या जन प्रतिनिधियों के अलावा सारदूल वर्मा एवं रमेश कुमार एवं अन्य ग्रामीणों ने तीन शिकायतें जिला प्रशासन को अलग-अलग माध्यम से दे रखी हैं। उसके बावजूद भी इन अवैध कब्जा धारकों के खिलाफ या श्मशान भूमि को अवैध कब्जा मुक्त करवाने के लिए अब तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
16 पंचों ने लगाई थी गुहार
गृहमंत्री अनिल विज को लगाई गई गुहार में तलवंडी राणा के पंच बलवंत खटाणा, राजबाला, सोनू, रवि कुमार, सरिता, सुदेश, रीना, संदीप, सुनील, सुरेन्द्र, पूजा, किरण रानी, मनीष, प्रवेश कुमार पंच सहित कुल 16 पंचों ने श्मशान घाट को अविलंब अवैध कब्जा मुक्त करवाने की मांग की थी। इसके अलावा ब्लॉक समिति एवं एक पूर्व जिला पार्षद ने भी इस कार्यवाही का समर्थन किया था।
आमतौर पर क्या रहती है कानूनी प्रकिया
आमतौर जिला उपायुक्त कार्यालय को ऐसी शिकायत मिलने के बाद नियमित समय में यह मामला जिले के जिला पंचायत अधिकारी के पास कार्यवाही के लिए भेजा जाता है। उसके बाद डीडीपीओ इस बाबत संबंधित खण्ड एवं विकास अधिकारी को भेजता है। जहां पर कार्यवाही के लिए बीडीपीओ जमीन की पैमाईश करवाने, कब्जाधारियों को नोटिस देने एवं कार्यवाही तय करने के लिए संबंधित कर्मचारियों को भेजता/ तैनात करता है। उसके बाद जरुरत पडऩे पर कब्जा कार्यवाही के लिए वह अपने आला अधिकारियों से समय-समय पर निर्देश/पत्राचार करता है। इस मामले में तय समय सीमा में सभी को अपनी कार्यवाही करनी होती है। इस मामले में किसी स्तर पर कहां लापरवाही हुई यह भी जांच का महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा।
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