राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई ने कहा है कि आरटीआई अधिनियम को लेकर जवाबदेही और पारदर्शिता के मामले में हरियाणा पूरे देश के अग्रणी राज्यों में है। उन्होंने कहा कि आयोग में अकेले 18 विभागों की उनकी बैंच के द्वारा गत चार वर्षों में 8 हजार केस डिस्पोज किए गए है।
वे शुक्रवार को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की प्रक्रिया के बारे में और सूचना के अधिकार के संबंध में अधिकारियों को आने वाले समस्याओं के समाधान के लिए लघु सचिवालय सभागार में प्रशिक्षण कार्यशाला के उपरांत पत्रकारों से विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आरटीआई एक्ट के तहत सबसे अधिक सूचनाएं पब्लिक डीलिंग वाले विभागों से मांगी जाती हैं, इनमें पंचायत, बिजली, स्थानीय निकाय विभाग प्रमुख है।

सूचना आयुक्त ने कहा कि आरटीआई एक्ट बेहद प्रभावशाली एक्ट है। इस एक्ट के तहत विकास/निर्माण कार्यों के सैंपल तक करवाए जाने का प्रावधान है। इससे पूर्व अधिकारियों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिलों में प्रथम अपीलीय अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम की पर्याप्त जानकारी न होने के कारण आरटीआई मामलों के सही निपटान का कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके चलते आयोग के समक्ष भी कठिनाई आती है। इसके अलावा मुख्य सचिव तथा प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के बारे में भी संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों में जागरूकता की कमी है।
इसी के दृष्टिगत सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत आरटीआई मामलों के उचित निपटान के लिए प्रदेशभर में प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान उन्होंने एसपीआईओ, बीडीपीओ, सरपंच, एएसपीआईओ तथा ग्राम सचिवों एवं संबंधित विभागों के अधिकारियों से सवाल-जवाब भी तलब किए।
बैठक में मंडलायुक्त की विशेष कार्याधिकारी शालिनी चैतल, डीएसपी विनोद शंकर व गौरव सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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