हिसार के संत कबीर छात्रा वास में अनूसूचित जाति वंचित वर्ग के पदाधिकारियों व मैंमबरो की बैठक हुए जिसमें अपनी मागो को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान पूर्व एचसीएस अधिकारी रोशन लाल समिति प्रधान, पूर्व चंद पवार पूर्व एसपी रिटार्यड,, बलराज सिंह प्रधान वाल्मीकि, रतन बडगुज्जर पूर्व प्रधान प्रधान, प्रलाहद सोलंकी ने पत्रकारो से बातचीत करते हुए बताया कि कहा कि सरकार उनकी मांगे को पूर कर दे अन्यथा समाज के लोग आगे बडा फैसला लेगे।
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इस दौरान वक्ताओ ने कहा प्रैस वार्ता में कहा कि हरियाणा सरकार ने अनुसूचित की बे समय से चली आ रही एक माग पंजाब अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण के आधार पर भाग चल रही थी। जिसमे एक मुख्य वर्ग वर्गद्ध जिसने चाहा को अनुसूचित जाति के 20 प्रतिशत आरक्षण को दो भागों में बांटा जाए वंचित वर्गों की मांग पर माननीय न्यायधीश गुरनाम सिंह की अध्यक्षता में एक आयोग 1991 में गठन कर दिया। उस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन सरकार ने नवम्बर 1994 को अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरन कर इसको दो वर्गों एव भी में कर दिवानी मे अकेली चार जाति वर्ग में अन्य 36 जातियाँ जिसमे धानक बल्मिकी खटीक ओर बाजीगर साहसी सपेरा आदि व इनकी अन्य उपजातियों को शामिल किया गया। इसके बाद पंचित वर्ग ए को बहुत बड़ा लाभ मिला इनके युवा चतुर्थ श्रेणी से प्रथम श्रेणी तक वर्ग भी से भी ज्यादा सरकारी नौकरियों में भती हुए।भाजपा अपने घोषणा पत्र 2014. में वर्गीकरण करने बारे वायदा कर चुकी है जिसको आम चुनाव तक नहीं निभा पा रही। इससे वंचित वर्ग में पूरे प्रदेश में रोष है और इसे लागू करवाने में संघर्षरत है।

दुर्भाग्यवश एक गजे सिंह मुआल ने माननीय हाईकोर्ट में एक अपील लगाई जिसका जवाब सरकार ने न देने पर वह सिविल याचिका बन गई और आंध्रप्रदेश के आए इस प्रकार के फैसले जिसमे वर्गीकरण को खत्म कर दिया उसी आधार पर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश में वर्गीकरण को खत्म कर दिया था। इसके एक सप्ताह बाद पंजाब में चल रहे वर्गीकरन को भी खत्म कर दिया गया। परन्तु पंजाब सरकार ने विधानसभा में विधेयक लाकर इसे वर्गीकरण के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर माननीय सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले लिया और पंजाब में अब तक यह वर्गीकरण जारी है इसके बाद हरियाणा के वंचित वर्ग ने इस होईकोर्ट के जून 2006 के फैसले के खिलाफ अपनी ैस्च् दायर कर दी। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई मंजूर कर सरकार से उसका मन्तव्य जाना। सरकार ने वर्गीकरण के पक्ष में जवाब तो 2010 में दे दिया परन्तु फरवरी 2014 की सुनवाई में वकील कर केस की पैरवी नहीं की।
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वंचित वर्ग के अधिवक्ता की पैरवी पर माननीय मुख्य न्यायधीश आरण् एमण् लोढा की तीन सदस्यीय खण्ड पीठ ने इसे सही ठहराया परन्तु इसे उच्च संविधानिक पीठ को केस रेफर कर दिया। इसकी सुनवाई पुन: अगस्त 2020 को हुई व माननीय मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की पांच सदस्यीय खंड पीठ ने भी इसे सही ठहराया और फैसला दिया की प्रदेश सरकार चाहे तो आरक्षण का वर्गीकरण कर सकती है। परन्तु 9 जजों की पीठ के फैसले जिसमें वर्गीकरण को खत्म किया गया था को लेकर इस पीठ ने भी उच्चतर संविधानिक पीठ को केस रैफर कर दिया। इस बीच हरियाणा सरकार ने वंचित वर्ग को शिक्षण संस्थानों में अगस्त 2020 वर्गीकरण की घोषणा कर आरक्षण के 20 प्रतिशत कोटे में वंचित वर्ग को 10 प्रतिशत आबंटित कर दिया और इसे 2021 में लागू कर दिया गया। परन्तु इसे नौकरियों में लागू नहीं किया। इसी दौैरान पदाधिकारियों द्वार बैठक का भी आयोजन किया। इस मौके पर सेवानिवृत अधिकारी रोशनलाल, देवीदास, रघुवीर सिंह प्रदेश महासचिव, रामलाल महासचिव ओढ समाज, बलराज जिला प्रधान संजय लोहट, दिनेश मांगल, मास्टर जगराम, चांदी राम, पूर्व चंद पवार सेवानिवृत अधिकारी, मदन लाल, सतीश इंदौरा, मुशी राम, जयबीर मंगली, सुनील पाल, बृजेश कुमार, रतन कुमार बड गुज्जर,
मौैजूद थे।
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