हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सीनियर प्रवक्ता व हिसार जिला कन्वीनर बजरंग गर्ग ने उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने फिर से 2000 रुपए के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करके यह सिद्ध कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी की थी वह जनविरोधी फैसला था। उस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा भारी नुकसान हुआ है और देश की जनता को बैंकों की लाईनों में लगाने का काम मोदी जी ने किया था जबकि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का तुगलकी फरमान जारी किया गया था उस समय 2000 रुपए का नोट जारी किया गया था और उस समय 2000 रुपए का नोट जारी करने के फायदे केंद्र सरकार द्वारा बताए गए थे जबकि 2000 रुपए के नोट की छपाई पर 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।

बजरंग गर्ग ने कहा कि 2016 में नोटबंदी करते हुए जनता के आंसू पोंछते हुए मोदी जी ने कहा था कि देश में आतंकवाद पर रोक लगेगी और भ्रष्टाचार खत्म होगा। देश व प्रदेश में पहले से कई गुणा ज्यादा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है और आतंकवाद व अपराध भी बढ़ा है। देश में नोटबंदी होने से व्यापार व कामकाज काफी प्रभावित हुए हैं। नोटबंदी के दौरान देश की जनता ने जो अघोषित आपातकाल को झेलना पड़ा है उसे भुलाया नहीं जा सकता। श्री गर्ग ने कहा कि 2000 रुपए का नोट छापने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का खुद का था अब जनता मोदी जी से पूछ रही है कि आपने अपना फैसला बदल कर 2000 रुपए का नोट बंद क्यों कर दिया है।
केंद्र सरकार के फैसले से एक बार फिर जनता बैंकों की लाईन में लगने के लिए मजबूर कर दिया है। बजरंग गर्ग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि 2016 में जो नोटबंदी की गई थी उसके कारण जो भी अर्थव्यवस्था खराब हुई और अब जो 2000 रूपए का नोट बंद करने का फैसला लिया है उसके नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2016 में अपने नोटबंदी के फैसले के लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए और भविष्य में ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहिए जो देश की जनता के हितों के खिलाफ हो। सन् 2016 में नोट बंदी के बाद मजबूरी में दबाव में आकर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया था जो बहुत बड़े अर्थशास्त्री हैं।
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