अतिरिक्त उपायुक्त नीरज ने महिला एवं बाल विकास विभाग सहित अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों को कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की नियमित निगरानी रखने एवं उनकी देखभाल करने के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को महिला बाल विकास विभाग की जिला टास्क फोर्स कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की रिपोर्ट नियमित रूप से प्रस्तुत करने की हिदायत दी। अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य जांच व पोषण जरूरतों को लेकर व्यापक अभियान चलाया जाए। जिले में 60 अति-कुपोषित एवं 4 हजार कुपोषित बच्चों की पहचान की गई है। जो बच्चें कुपोषित हैं, वे अति-कुपोषित की श्रेणी में शामिल न हो, इसके लिए उनके पोषण में बेहतर सुधार एवं नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाएगी।

इसके अतिरिक्त अति-कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु दाखिल करवाया जाएगा एवं उनके परिजनों को इस संबंध में जागरूक भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं की काउंसलिंग करवाई जाए। संबंधित अधिकारियों को पिछले 6 माह से एनआरसी में दाखिल बच्चों के डाटा का आंकलन करने की हिदायत दी गई। अतिरिक्त उपायुक्त ने जिला कार्यक्रम अधिकारी मीनू राणा को निर्देश दिए कि वे अपने अधीन सभी सीडीपीओ एवं सुपरवाईजरों की बैठक कर रिपोर्ट प्राप्त करना सुनिश्चित करें। उन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य अभियान की समीक्षा करते हुए उन्होंने जिले में अभियान के तहत प्रदत्त की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।

बैठक में उपस्थित सिविल सर्जन गोविंद गुप्ता ने अतिरिक्त उपायुक्त को अवगत करवाया कि 15 मई से 15 जून तक पोषण अभियान के तहत 9 माह से 5 साल तक के बच्चों में विटामिन-ए सप्लीमेंट का वितरण किया जा रहा है, ताकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं रतौंधी की बीमारी ना हो। यह सप्लीमेंट प्रत्येक बुधवार को टीकाकरण के दौरान एएनएम द्वारा सब-सेंटरों पर बच्चों को दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि 5 जून से 17 जून तक डायरिया से पीड़ित 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को ओआरएस और जिंक की टेबलेट वितरित की जाएंगी। एनीमिया मुक्त अभियान के तहत 19 से 25 जून तक सभी व्यक्तियों, विशेष तौर पर 0 से 5, 5 से 9, 9 से 19 वर्ष तक की लड़कियों की जांच की जाएगी। एनीमिया से कम पीड़ित व्यक्ति को मौके पर दवाईयां दी जाएगी एवं अधिक पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में और अधिक जांच हेतु भेजा जाएगा।
इस अवसर पर एसीयूटी नरेंद्र कुमार, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ सुभाष खतरेजा, जिला वन अधिकारी पवन कुमार, मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी मनीषा मलिक, एनीमिया मुक्त भारत अभियान के क्षेत्रीय समन्वयक विजय, पोषण अभियान अधिकारी कुलदीप, वन स्टॉप सेंटर संरक्षण अधिकारी रीतू, एनजीओ प्रगति कानूनी सलाह केंद्र से शंकुलता जाखड़ सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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