जनवादी महिला समिति दिल्ली में जंतर मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों की बर्बर गिरफ्तारी तथा महिला संसद में हिस्सेदारी के लिए हरियाणा, दिल्ली, पंजाब व यूपी से पहुंच रहे लोगों की जगह-जगह हुई गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा करती है। गौरतलब है कि महिला पहलवानों के समर्थन में आज नई संसद के बाहर महिला संसद आयोजित की जानी थी। इस महिला संसद में शामिल होने के लिए हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व यूपी से बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होनी थी। लेकिन रात से भाजपा सरकार द्वारा दमन चलाया हुआ है। कई नेताओं को रात को उनके घरों या संगठन के कार्यालयों से उठा लिया गया। जगह-जगह नाकेबंदी करके पुलिस द्वारा दिल्ली जा रही महिलाओं और पुरुषों को बड़ी संख्या में गिरफ्तार कर लिया गया।

जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल, भीम अवॉर्डी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जगमति सांगवान सहित जनवादी महिला समिति की सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जंतर मंतर पर गिरफ्तार कर लिया गया। हरियाणा में जनवादी महिला समिति के राज्य महासचिव उषा सरोहा, कोषाध्यक्ष राजकुमारी दहिया, उपाध्यक्ष व हिसार जिला अध्यक्ष शकुंतला जाखड़ तथा विभिन्न जिलों के नेताओं बबली लाम्बा, भारती, रामवती, बिमला घनघस, संतोष देशवाल, निर्मला, शीला बुटाना, संतोष, नूतन प्रकाश, सरोज, सुरेश, सुनीता जांडली, संतरो अहर, शांति, बिमला तरड़, गायत्री, कैलाश जाखड़, सीमा, कमला, कृष्णा जांगड़ा, प्रभा, सुदेश, लक्ष्मी अनुराधा, दर्शना, मुनमुन, उर्मिल, वीना हुड्डा, कौशल्या आदि सैंकड़ों साथियों को विभिन्न जिलों में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार नेताओं को विभिन्न थानों में बैठाया हुआ है।

जनवादी महिला समिति की जिला अध्यक्ष शकुंतला जाखड़ ने कहा कि गिरफ्तार पहलवानों, विभिन्न संगठनों के नेताओं, महिलाओं व पुरुषों को तुरंत रिहा किया जाए। संगठन की नेताओं ने कहा कि यह भाजपा सरकार कैसा कानून है कि यौन हिंसा आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण और मंत्री संदीप सिंह तो खुले घूम रहे हैं और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। यह बेहद निंदनीय है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए लोकतंत्र की स्थापना के नाम पर नए संसद भवन का उद्घाटन किया है
वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र को कदमों तले रौंदने का काम किया है। उन्हें यह याद रहना चाहिए कि लोकतंत्र भव्य इमारतें या आडंबरपूर्ण भाषण नहीं है बल्कि हमारे संविधान में निहित अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान ही असली लोकतंत्र है परन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए अंग्रजों से माफी मांगने वाले व पैंशन पाने वाले वीर सावरकर की जयंती का दिन चुना है और माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को पूरे आयोजन का हिस्सा नहीं बनाया है, इससे जाहिर होता है कि भाजपा सरकार वास्तव में लोकतंत्र और दलितों, आदिवासियों व महिलाओं के बारे में क्या सोच रखती है। जनवादी महिला समिति मांग करती है कि जल्द से जल्द पहलवानों की जायज मांगों को माना जाए अन्यथा यह आंदोलन देश के कोने कोने तक फैलेगा।
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