पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री की 12वीं पुण्यतिथी पर राजस्थान के जाम्भा में उनकी तीसरी प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम आयोजित किय ागया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महासभा के संरक्षक बिश्नोई रत्न कुलदीप बिश्नोई पधारे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पाली के सांसद पी.पी. चौधरी एवं अध्यक्ष देवेन्द्र बुडिय़ा ने की। इस दौरान हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों की सभा को संबोधित करते हुए कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि चौ. भजनलाल जैसी शख्सीयत सदियों में पैदा होती है। अपने विलक्षण कार्यों और समाजसेवा से उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई। उन्होंने कहा कि आदमपुर और मुकाम के बाद आज जाम्भा में चौ. भजनलाल जी की तीसरी प्रतिमा लगाई गई है। बहुत ही सुंदर, श्रेष्ठ प्रतिमा लगाने पर वे अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, बिश्नोई सभा हिसार को बधाई देते हैंं।
उन्होंने कहा कि प्रतिमा शब्द देव विशेष, व्यक्ति विशेष की आकृति, मूर्ति का परिचायक है। चौ. भजनलाल जी न केवल बिश्नोई समाज, बल्कि समाज की 36 बिरादरी के लिए किसी देव तुल्य शख्सीयत से कम नहीं थे। चौ. भजनलाल जी कोई साधारण इंसान नहीं थे। बंटवारे के समय उनकी जेब में मात्र 5 रूपए भी नहीं थे, न ही उनकी पीढिय़ों में कोई व्यक्ति दूर-दूर तक राजनीति में था बावजूद इसके अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर वे पंच, ब्लॉक समिति चेयरमैन से लेकर विधायक, मंत्री, सांसद, केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री पद के ओहदे तक पहुंचे। वे ऐसे इंसान थे, जिनके जादुई व्यक्तित्व से उनका विरोधी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका।हम प्रतिमाएं क्यों लगाते हैं। इसके पीछे विशेष कारण है।

एक महान पुरूष की प्रतिमा जब लोग देखते हैं तो उन्हें अपने जीवन में भी आगे बढऩे की पे्ररणा मिलती है कि यह महान व्यक्ति जब विपरित परिस्थतियों के बावजूद इतना कुछ कर सकता है तो हम भी कर सकते हैं। आज जब हम महात्मा गांधी जी, डॉ. भीमराव अंबेडकर जी, भगत सिंह जी, सरदार पटेल जी जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाएं देखते हैं तो उनका जीवनकाल हमारे आ जाता है। इसी प्रकार चौ. भजनलाल जी भी ऐसी शख्सीयत थे, जिन्होंने अपने जीवन में असाधारण काम किए और बिश्नोई समाज को एक विशेष पहचान दिलाई तथा केन्द्रीय मंत्री व हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने समाज की 36 बिरादरी के हितों की रक्षा करते हुए सामाजिक उत्थान की दिशा में अनेक ऐेसी नीतियां लागू की, जो आगे चलकर मील का पत्थर सिद्ध हुई। उन्होंने कहा कि इस धरती पर परमात्मा स्वरूप आलौकिक पूजनीय गुरू जंभेश्वर जी महाराज ने एक आदर्श और प्रकृति के साथ संतुलित जीवन जीने के लिए विश्व को 29 नियमों की सौगात दी थी।
बिश्नोई समाज में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति का पहला कत्र्तव्य इन 29 नियमों को अपने जीवन में धारण करना तथा पूरे विश्व में इनका प्रचार-प्रसार करना है। चौ. भजनलाल ने बचपन से ही मुझे इन नियमों के प्रति शिक्षित और जागरूक करने का काम किया। उनके दिए संस्कारों के चलते ही मैंने हमेशा च्जनहितज् को निजी स्वार्थों से ऊपर रखकर संघर्ष किया और सदैव प्रयास किया कि बिश्नोई समाज के हितों पर कोई आंच न आने पाए। जिस प्रकार भक्तिकाल के दौरान गुरू महाराज ने हमें नियम व उपदेश दिए और उनका हमने पालन किया तथा बहुत ही शुद्ध व सात्विक समाज के रूप में हम आज जाने जाते हैं। यह सब हमारे गुरू महाराज के आशीर्वाद और हमारी आस्था से ही संभव हुआ है। इस आस्था की लौ को प्राचीन काल में मां अमृता देवी सहित अन्य पर्यावरण योद्धाओं ने जलाए रखा। उसके बाद आजादी से पूर्व हमारे सामाजिक बुद्धिजीवियों ने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के रूप में, सेवक दल के रूप में और जीव रक्षा के रूप में संगठित होकर इसी आस्था को और मजबूत किया।

कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि आज जाम्भा के हरियाणा भवन में उस समान शख्सीयत की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा लगाया जाना उनको सच्ची श्रद्धांजलि हैं, वहीं इससे जहां समाज में एकजुटता बढ़ेगी और वर्तमान व आने वाली पीढिय़ों में ऊपर उठने के लिए पे्ररणा भी जगेगी। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद च्बिश्नोई रत्नज् युगपुरूष चौ. भजनलाल जी ने समाज को एक ऐसा मंच दिया, जिस पर एकजुट होकर समाज हर क्षेत्र में चाहे राजनीतिक हो, शिक्षा हो, सामाजिक हो, व्यवसाय, कृषि सहित हर स्तर पर बुलंदियों तक पहुंचाया। यह चौ. भजनलाल जी के महान प्रयास और दूरगामी सोच ही थी कि आज पूरे हिंदुस्तान ही नहीं, दुनिया में भी बिश्नोई समाज की एक विशेष पहचान है। दुनिया के किसी भी क्षेत्र में रहने वाला बिश्नोई समाज का व्यक्ति बहुत ही आदर से आज अगर चौ. भजनलाल का नाम लेता है। उन्होंने यह सब गुरू महाराज के आशीर्वाद, आप सबके स्नेह और साथ-साथ अनेकों सामाजिक विभुतियां जैसे स्व. राम सिंह जी, पूनमचंद जी, रामनारायण जी जैसी साख्सियतों के सहयोग से राजनीतिक व सामाजिक बुलंदियों को छूआ और समाज से मिले इस असीम प्यार को उन्होंने अपने कार्यों से कई गुणा करके समाज को लौटाया। इतने ऊंचे कद पर रहते हुए भी वे समाज के हर व्यक्ति व उसकी बात पर न केवल गौर करते थे, बल्कि मुझे भी समाज को सर्वोपरि रखने की पे्ररणा देते थे। उनकी उसी पे्ररणा की बदौलत आज मुझे भी आपका असीम स्नेह मिल रहा है, जिससे की मैं भी हमेशा इस प्रयास में रहता हूं कि समाज के गौरव को देश व दुनिया में और बढ़ाउं।
जाम्भा में आए सभी समाज के बंधुओं से मैं कहना चाहता हूँ कि जिस प्रकार से पूर्व में हमने एकजुटता से राजनीतिक व सामाजिक बुलंदियों को राष्ट्रीय स्तर पर छुआ है, उसी प्रकार भविष्य में भी हमारी एकजुटता की डोर को और ज्यादा मजबूती से बांधकर हम राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर च्बिश्नोई समाजज् के गौरव को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। इसके लिए अगर कोई सबसे ज्यादा जरूरी चीज है तो वह समाज की एकजुटता ही है। एकजुटता में वो ताकत है जो बड़े-बड़े असंभव दिखने वाले कार्य को भी संभव बना दे।

सामूहिक एकता का मतलब भीड़ इक_ा कर लेना नहीं होता। कुछ लोगों के एकत्रित भर हो जाने से एकता नहीं आती। भीड़ को कई बार हम एकता की डोर में इसलिए नहीं बांध पाते, क्योंकि उनमें वैचारिक रूप से कोई तालमेल नहीं होता। एकता के लिए वैचारिक तालमेल महत्वपूर्ण है। एकता विलय का प्रतीक नहीं, वरन आपसी प्रेम, भाई-चारे, श्रेष्ठता और जागरूकता का प्रतीक है। जो वृक्ष एक साथ मिलकर खड़े होते हैं, वे बड़ी से बड़ी आंधी की मार भी झेल जाते हैं। पांच अंगुलियां भी एक साथ मिलकर मजबूत मु_ी बन जाती हैं। एकता का मतलब है-हमारे एक से उद्देश्य हों, हमारी सोच एक दूसरे की मदद करने वाली हो, हमारा चिंतन-मनन सबके कल्याण के लिए हो। हमारा ध्येय मानव जगत और विश्व का कल्याण हो, हम सुख-दुख में एक हों। एकता का तात्पर्य है मन-मन के भेद को मिटाकर एक राह में आगे बढऩा।
यही कारण है कि कई लोगों द्वारा मिलकर गलत काम करने को हम एकता नहीं कहते। कई बार तुच्छ स्वार्थो और अहंकार के बीच परिवार टूट जाते हैं, पार्टियां बिखर जाती हैं। एकता कायम रखने के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर कुछ त्याग की भावना लाएं, स्वयं को विराट बनाएं, संकीर्णताओं से ऊपर उठें। एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और सम्मान दें। संगठन की वीणा तभी सुंदर बजती है, जब उसके सभी तारों में तालमेल हो। हमारे गुरू महाराज के उपदेशों, समाज की एकजुटता व ताकत से ही हम दुनिया में पर्यावरण संरक्षक के आंदोलन का न केवल नेतृत्व कर सकते हैं, बल्कि देश, दुनिया को एक नई राह भी दिखा सकते हैं। कार्यक्रम को फतेहाबाद के विधायक दुड़ाराम, फलौदी के विधायक पब्बाराम बिश्नोई, नोखा के विधायक बिहारी लाल, पूर्व विधायक मलखान बिश्नाई, पूर्व विधायक लाधुराम बिश्नोई सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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