आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर शहर के युवा लेखक विकास बिश्नोई के प्रथम बाल कहानी संग्रह ‘आओ चलें उन राहों पर’ का प्रकाशन नई दिल्ली के शब्दाहुति प्रकाशन द्वारा किया गया है। अमृत महोत्सव योजना के अंतर्गत संग्रह का सारा व्यय प्रकाशक द्वारा वहन किया गया है।

संग्रह में 35 कहानियां है शामिल
इस संग्रह में बाल वर्ग को शिक्षाएं प्रदान करने के उद्देश्य से सामाजिक, पर्यावरणीय और देशभक्ति से ओतप्रोत 35 कहानियां है, जिसमें पहली शिक्षक मां, रक्तदान का महत्व, ईश्वर प्राप्ति का मार्ग, असली कमाई, दूध और रोटी, तिरंगे की पुकार, फौजी ही बनना है आदि कहानियां शामिल है।
तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत विकास बिश्नोई ने पुस्तक प्रकाशन पर खुशी जताते हुए कहा कि तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत रहने के साथ सदैव से ही हिंदी और लेखन कार्य से मेरा लगाव रहा। समय मिलने पर कुछ ना कुछ लिखता रहता हूं। उस लेखनी को शब्दाहुति प्रकाशन ने मंच दिया है, जिसके लिए मैं उनका आभारी हूं।

तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत हैं विकास
विकास बिश्नोई ईमानती देवी और कवि पृथ्वी सिंह बैनीवाल के सुपुत्र हैं। गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत वर्तमान में तकनीकी क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों से कार्य कर रहे हैं। तकनीकी क्षेत्र में होने के बावजूद शुरू से ही इनका साहित्य जगत से विशेष प्रेम रहा। छोटी सी उम्र से ही इनकी रुचि लेखन व सामाजिक कार्यों में रही है। ये पिछले कुछ वर्षों से देशभर के विभिन्न समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में आलेख, संस्मरण एवं कहानियाँ लिख रहे हैं। साथ ही विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में भी कार्य कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त विकास बिश्नोई ने योग में कई वर्षों तक उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अनेकों पदक भी जीते हैं। शिक्षा, खेलकूद, लेखन व सामाजिक कार्य के चलते इन्हें अनेकों मंचों पर सम्मानित भी किया जा चुका है।
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