प्रेक्षा फाउंडेशन के निर्देशानुसार प्रेक्षावाहिनी हिसार ने जिंदल हाउस में युग प्रधान आचार्यश्री महाश्रमण के सुशिष्य तपोमूर्ति मुनिश्री पृथ्वीराज के सानिध्य में आज 9वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया। प्रेक्षावाहिनी के सदस्यों ने प्रेक्षा गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। हिसार योगशाला फाउंडेशन के सदस्य भूपेंद्र कुमार, पवन गोस्वामी, पूजा यादव, आर्यन भ्याण ने सभी को योगाभ्यास करवाया व आसान प्राणायम इत्यादि से होने वाले लाभों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। योगशाला फाउंडेशन की टीम के सदस्यों ने योगाभ्यास कर रहे एक-एक साधक को योग की सही विधि समझाई। योग में एमएससी कर रही वैशाली तायल ने साधकों को मर्म थैरिपी (एक्युप्रैशर प्वाईंट) के बारे में बताया।

इस अवसर पर मुनिश्री पृथ्वीराज ने बताया कि योग एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भावात्मक संतुलन रखता है। योग को जानने से पहले हमें अपने श्वास को जानना होगा। उल्टा श्वास हमारे शरीर के भीतर अनेक व्याधियों को जन्म दे देता है। सांस लेने की सही प्रक्रिया योग का प्रथम चरण है। हमने श्वास को जान लिया तो हम अपने बीमारियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। नियमित योग करने वाले व्यक्तियों के लिए योग एक सुंदर तरीका और स्वस्थ जीवन जीने की कला तथा विज्ञान है। योग शरीर और मन को नियंत्रित कर उनमें नए उत्साह और आंतरिक ऊर्जा का संचरण करता है। जीवन शैली को बदलने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर योग दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। पूरे विश्व भर के लोगों के लिए योग के सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए हर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस अंगीकृत करने के लिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र आम सभा में आह्वान किया था।

योग भारतीय परंपरा का एक अनमोल उपहार है। योग की शुरूआत भारत में पूर्व वैदिक काल से हुई मानी जाती है। योगीराज कृष्ण, भगवान महावीर, महात्मा बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। सुख-दुख, लाभ-हानि, शीत-ऊष्ण में सम भाव रखना भी योग है। योग व्यक्ति के लिए सर्वांगिण विकास में सहायक है। यदि व्यक्ति योग को अपने जीवन से जोड़ ले तो वह स्वस्थ सुखी जीवन जी सकता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का महत्व तभी है जब हम इसे नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में शामिल करें। मात्र एक दिन योग दिवस मना लेने व औपचारिकता से इसका कोई लाभ नहीं होगा।

प्रेक्षा वाहिनी संवाहिका सुमन जैन ने योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि योग का ही एक प्रारूप है प्रेक्षा ध्यान। प्रेक्षा ध्यान वह तपस्या है जिसके द्वारा हम खुद को समझते हैं, जानते हैं और पहचानते हैं। उन्होंने मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और सभी का आभार व्यक्त करते हुए सभी के स्वास्थय के लिए मंगल कामना की तथा कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग के लिए श्रीमती सावित्री जिंदल का भी धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम में सत्यपाल शर्मा ने योग पर कविता का संगान किया। हिसार योगशाला फाउंडेशन की टीम को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष संजय जैन, मंत्री गौरव जैन, अणुव्रत समिति अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष राजकुमार जैन, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री रवि सिंघल सहित सभी संस्थाओं ने उत्साहपूवर्क भाग लिया।
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