जहां भी रहो , जिस मिट्टी के रहो , वफ़ादार बनकर रहो । इसी संवाद के ख़त्म होते ही बाबा मोहर सिंह को अंग्रेज फाँसी पर लटका देते हैं।

यह दृश्य है नाटक दास्तान ए अंबाला का जो दर्शाता है कि 1857 की क्रांति मेरठ से भी पहले अंबाला में शुरू हो चुकी थी। कैप्टेन मार्टिनयू और जनरल एन्सन ने श्याम सिंह को पकड़कर उससे इस क्रांति के सारे राज़ उगला लिये और यह क्रांति की चिंगारी अंबाला से दब गई । सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से बुधवार को जिंदल ज्ञान केंद्र के ओपन एयर थिएटर में आयोजित इस नाटक के मंचन के अवसर पर हिसार के मेयर गौतम सरदाना मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिनका मकसद हमारे युवाओं को हमारे आजादी के इतिहास से रूबरू करवाया जा सके। इस अभियान का एक और ख़ास मकसद देश की आजादी के गुमनाम नायकों के जीवन पर भी प्रकाश डालना है, जिनके आजादी में दिए गए योगदान को भुला दिया गया। उन्होंने सूचना, जन संपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल और उपनिदेशक कुलदीप सैनी का नाटक मंचन के लिए आभार प्रकट किया।

नाटक में दिखाया की अंबाला की रानी दया कौर को जब रणजीत सिंह और डलहौज़ी से ख़तरा हुआ तो दया कौर ने हिंदुस्तान की पहली महिला फ़ौज बनायी। अंग्रेजों ने यहाँ के लोगों को अपना ग़ुलाम बनाने के लिये यहाँ पर व्यापार ख़त्म कर दिया। नाटक में उस समय की तवायफ़ों के योगदान को भी दिखाया। उस समय की मशहूर तवायफ़ हीरा बाई किस तरह अंग्रेजों से भिड़ी और राज़ उगलवाये यह सब इस नाटक में दिखाया गया।

नाटक शुरू होता है आज के अंबाला से और अंबाला की ख़ासियत जैसे मिक्सी, वैज्ञानिक उपकरण , पंजीकरण साहब गुरुद्वारा , सैंट पॉल चर्च का ज़िक्र होते होते 1857 से जुड़ जाता है नाटक । नाटक के ज़रिये बताया गया कि शिमला से लेकर सहारनपुर तक अंबाला होता था । अंग्रेजों ने अंबाला को बफर जोन बनाया और इसे ही अपनी छावनी बनाया । अंग्रेजों ने बहुत सोची समझी रणनीति के तहत अंबाला में अपना डेरा डाला । नाटक का निर्देशन देश के मशहूर रंगकर्मी मनीष जोशी ने किया, वहीं नृत्य संरचना रखी दूबे और सैंडी नागर ने की । संगीत श्रीधर नागराज, मेकअप अतुल खुंगर, सह निर्देशन स्नेह बिश्नोई ने किया । कलाकारों में अक्लव्य , दिनेश सैनी , रमन , अभिषेक , रजत , अमित , संजय बिश्नोई, युक्ति, वैष्णवी , गीता चौहान ,लोकेश के साथ लगभग 40 कलाकार मंच पर थे ।

इस नाटक का पहला मंचन गृहमंत्री अनिल विज द्वारा करवाया गया था । अभिनय रंगमंच के कलाकारों की इस नाटक में भाग लिया। अभिनय रंगमंच के अध्यक्ष मनोज बंसल ने कहा की आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत हुए इस मंचन से युवा पीढ़ी को हमारा समृद्ध इतिहास पता लगा है ।
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