समयजक स्टूडियो के योगाचार्य कार्तिकेय ने बताया कि हिसार में इस समय वायु प्रदूषण का स्तर इतना घातक हो चुका है कि यहां लोग प्रतिदिन 25 सिगरेट पीने जितना जहरीला घुआं सांस लेने के साथ गटक रहे हैं। वर्तमान समय में हिसार में एक्यूआई का स्तर 500 है जबकि दिल्ली में यह 999 तक पहुंच गया है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि दिल्लीवासी भी प्रतिदिन 40 से 50 सिगरेट का सेवन कर रहे हैं। आचार्य कार्तिकेय ने आबोहवा में जहरीले धुएं को देखते हुए इन दिनों पार्क या खुले में जाकर लोगों को प्राणायाम नहीं करने की सलाह दी है।

उनका कहना है कि प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य होता है अपने प्राणों को नियंत्रित करते हुय अपने विचारों को निर्विचार करना है। महर्षि पतंजलि ने भी पन्तजलि सूत्र में कहा है वर्तमान परिवेश में प्राणायाम को श्वसन तंत्र (फेफड़ों) की सीमाओं को बढ़ाने के तरीके के रूप में देखा जाता है। जैसे ही आपके श्वसन तंत्र को श्वांस लेने की क्षमता को बढ़ाया जाता है वैसे ही आपके शरीर में अर्थात फेफड़े में हवा भर सकते हैं।
योगाचार्य ने बताया कि कार्तिकेय यदि हवा शुद्ध हुई तो शरीर को उतना ही लाभ होगा। लेकिन इस समय वातावरण में दूषित हवा है तो यह हमारे शरीर को उतना ही नुकसान दे रहा है। प्राणायाम के माध्यम से वातावरण को शुद्ध नहीं किया जाता है , बल्कि अपने सांस नेने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। इसलिए किसी भी दृष्टि से इन दिनों में प्राणायाम करना उचित नहीं है। बल्कि यह समय तो होम क्वारंटाइन होने का है। प्रशासन और सरकारें भी आमजन को घरों से कम से कम बाहर निकलने का आहवान कर रही हैं।
आबोहवा शुद्ध रहने पर यह करें
लो बीपी – जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर रहता है वे भषत्रिका प्राणायाम कर सकते हैं। इसकी शुरुआत तीस -तीस के तीन सेट से कर सकते हैं।
हाई बीपी – जिन लोगों को हाई बीपी की शिकायत है वे शीतली प्राणायाम तीस-तीस के तीन सेट कर सकते हैं।
अनुलोम-विलोम या नाड़ी शोधन प्राणायाम। यह 20 मिनट करना उचित है ।
भ्रामरी प्राणायाम : इसे हर कोई कर सकता है। अवधि दस से पंद्रह मिनट तक।
प्राणायाम में शारीरिक कष्ट नहीं होता है।
बंद कमरे में प्राणायाम करने के बाद तुरंत बाहर नहीं जाना चाहिये। यदि जाना ही है तो नाक ढंक कर जाएं। इन दिनों नाक के बाल भूल कर नाई से या स्वयं ना काटे। इससे नाक से वायु आपके शरीर के अंदर वह साफ नहीं होगा।
आयुर्वेदिक टिप्स
सुबह सुबह खाली पेट अंकुरित चना और गुड़ खायें।
डिटॉक्स वाटर का सेवन करें।
डिटॉक्स वाटर बनाने की विधि : खीरा, नींबू , पुदीना, अदरक और धनिया को रात में पानी में उबाल लें और सुबह के समय छान कर इसका सेवन करें। यह सप्ताह में चार दिन करें।
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