वामपंथी पार्टियों जनता की आजीविका पर लगातार किए जा रहे हमलों के खिलाफ 28 फरवरी को जिला उपायुक्त कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करेंगी।
यह फैसला आज मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी की सांझा मीटिंग में लिया गया। मीटिंग की अध्यक्षता एमएल सहगल ने की।
यह जानकारी देते हुए मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के जिला सचिव दिनेश सिवाच ने कहा कि वामपंथी पार्टियां व अन्य कई वरिष्ठ राजनीतिक नेता यह आरोप लगाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपने कुछ खास को नाजायज लाभ प्रदान कर रहे हैं। यह गठजोड़ अब दुनिया के सामने उजागर हो चुका है । दुनियाभर के अमीरों में दूसरे नंबर पर पहुंचे अडाणी की अमीरी के पीछे असली राज का भंडाफोड़ हो गया है। अडाणी साम्राज्य का महल तो देखते ही देखते ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। जनता की गाढ़ी कमाई को बेरहमी से लुटवाने वाले इन लोगों के तथाकथित राष्ट्रवाद का नकली मुखौटा भी उतर गया है।
भारत की संसद में बवाल मचा है। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में लंबा भाषण दिया लेकिन इस मसले पर एक शब्द तक नहीं कहा। यदि विपक्ष के आरोप गलत हैं तो मोदी क्यों नहीं बोले कि आरोप निराधार हैं ? वह आखिर निष्पक्ष जांच से भाग क्यों रहे हैं ?

कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ की इस सरकार से किसान मजदूरों को राहत की क्या आशा की जा सकती है। हाल में संसद में पेश किया गया बजट तो जनता के खिलाफ एक तरह से युद्ध छेड़ने का ऐलान है।
उन्होंने कहा कि क्या है इस बजट प्रस्ताव में बजट में बीते साल की तरह अमीरों को छूट दी गई है और गरीब आदमी पर बोझ बढ़ा है। शिक्षा स्वास्थ्य, कृषि, मनरेगा से बजट कम किया है। बेरोज़गारी की मार झेल रहे देश के युवाओं के लिए बजट में निराशा के सिवाय कुछ नहीं है । जबकि यार पूंजीपतियों और अमीरों के लिए टैक्सों में छूट और तमाम रियायतें बरकरार रखी गई हैं।
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