गाड़ी लोहार कल्याण संघ आजाद नगर हिसार में हर वर्ष की भांति वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कुमार ने की। उन्होंने बताया कि वीर शिरोमणि हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष तृतीया को हुआ था।

युद्ध में अपने शरीर पर 72 किलो वजनी कवच व 81 किलो के भाले सहित 208 किलो वजन लेकर चलने वाले प्रताप ने अपने 20,000 सैनिकों के साथ मुगल सेना के 85000 से ज्यादा सैनिकों का मुकाबला किया। अनेक मौकों पर उनके साहस को तोडऩे की कोशिश हुई, उन्हें धन, सम्पदा देकर दासता स्वीकार करने की पेशकश की गई लेकिन राजपूती आन, बान, शान के प्रतीक राणा प्रताप ने जंगल में रहकर घास की रोटियां खाना स्वीकार कर लिया मगर किसी की गुलामी को स्वीकार नहीं किया। आज उनकी जन्म जयंती के पावन मौके पर हमें प्रण करना है कि हम सभी आपस में संगठित रहेंगे और समस्याओं का मिलकर सामना करेंगे।
संघ के उपाध्यक्ष पवन कुमार ने कहा की गाडिय़ा लोहार समाज महाराणा प्रताप का अनुयायी है। मेवाड़ छोड़ते समय जो शपथ समाज बंधुओं ने ली थी उसके कारण आज भी बड़ी संख्या में समाज घुमंतू जीवन जी रहा है जिसके कारण समाज में शिक्षा का अभाव है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देकर के समाज को आगे बढ़ाना है। सरकार की अनदेखी को लेकर भी उन्होंने कहा कि गाडिय़ा लोहार समाज के स्थाई आवास को लेकर अभी तक की सभी सरकारों ने कोरे वादे किए हैं।
मौजूदा सरकार के मुख्यमंत्री ने भी महाराणा प्रताप जयंती के उपलक्ष में वर्ष 2015 में करनाल में यह घोषणा की थी कि यदि गाडिय़ा लोहार समाज बसना चाहे तो हर संभव सरकार मदद करेगी लेकिन बड़े खेद का विषय है कि स्थाई आवास की व्यवस्था करना तो दूर आए दिन प्रदेश में अस्थाई आशियाना बनाकर रह रहे समाज बंधुओं की झुग्गी झोपडिय़ों को प्रशासन द्वारा तोड़ दिया जाता है और सरकार मौन धारण करके बैठी है। सरकार ने वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास देने का वादा किया था किंतु वर्ष 2018 में चिन्हित किए गए 10000 परिवारों में से किसी एक भी परिवार को आज तक आवास उपलब्ध नहीं करवाया गया। इस अवसर पर अमित सांचला, प्रमोद कुमार व नरेन्द्र सहाड़वा, मनोज व सागर लाडवी, सुरेन्द्र मताना, विनोद रुपाणा, रोहतास सिसवाल, मदन, हरपाल, योगेंद्र सातरोड़, अनिल व गोतम किरधान आदि समाज बंधु उपस्थित रहे।
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