अत्याचार से पीड़ित महिलाओं की थानों व अस्पताल में कोई सुनवाई नहीं हो रही : एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल
– पुलिस पीड़ित महिलाओं के प्रति सहानुभूति दिखाने की अपेक्षा दुर्व्यवहार करके प्रताड़ित कर रही : लाल बहादुर खोवाल
– पुलिस, प्रशासन व सरकार को पीड़ित महिलाओं प्रति संवेदना दिखाते हुए भरपूर सहयोग करना चाहिए : लाल बहादुर खोवाल
– सुप्रीम कोर्ट व सरकार के स्टैंडिंग ऑर्डर के मुताबिक पीड़ित महिलाओं के साथ न्यायिक व्यवहार किया जाना चाहिए : लाल बहादुर खोवाल
हिसार : प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार और उनकी कोई सुनवाई न होने पर हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि महिलाएं, दलित, गरीब, मजदूर व पिछड़ा वर्ग को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं इस मामले में प्रशासन व पुलिस पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाने की अपेक्षा निष्ठुरता दिखा रही है।
एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि दुष्कर्म, छेड़छाड़ या अन्य किसी मामले में पीड़ित महिला जब महिला थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाने जाती है तो उसकी सहायता करने की अपेक्षा उसे प्रताड़ित किया जाता है। इतना ही नहीं ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब किसी महिला को अस्पताल में मेडिकल करवाना हो तो वहां भी उस पीड़ित महिला से दुर्व्यवहार किया जाता है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में हुआ जिसमें पीड़िता ने आपबीती बताई। खोवाल ने कहा कि पुलिस, प्रशासन व अस्पताल का उद्देश्य पीड़ितों की मदद करना है लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार में विशेष कर दुष्कर्म पीड़िता को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पहला महिला पुलिस स्टेशन 23 अक्टूबर 1973 को केरल के कोझिकोड में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसलिए बनवाया था ताकि महिलाओं को शिकायत दर्ज करवाने के लिए सुरक्षित और सुलभ वातावरण प्रदान किया जा सके। हरियाणा में भी सरकार ने महिलाओं की सुविधा के लिए महिला पुलिस थानों की स्थापना इसलिए की थी ताकि वो सुविधाजनक माहौल में खुलकर आपबीती बता सके। इतना ही नहीं दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के प्रति सहानुभूति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस व चिकित्सकों के लिए कुछ गाइड जारी की थी जिसकी अनुपालन नहीं की जा रही है। इसके साथ ही पीड़ित महिलाओं को किसी भी तरह की प्रताड़ना से बचाने के लिए समय-समय पर विशेष हिदायतें दी गई लेकिन उनकी पालना भी नहीं हो रही। दिनांक 27.4.2015 को डीजीपी हरियाणा ने भी दुष्कर्म पीड़ितों के बारे में कार्रवाई करने के बाबत एक स्टैंडिंग ऑर्डर नंबर 136/2015 जारी करते हुए गाइडलाइन जारी की थी जिसको अनदेखा किया जा रहा है। इसके विपरीत पिछले कई वर्षों से महिलाएं अराजकता के माहौल में जीवन-यापन कर रही हैं। पुलिस थानों व अस्पताल में होने वाले दुर्व्यवहार के चलते बहुत सी पीड़ित महिलाएं अपनी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करवाती। ऐसी स्थिति में महिला थानों और सरकारी अस्पतालों की स्थापना का उद्देश्य ही क्या रह जाता है।
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि कुछ पुलिस अधिकारी ईमानदारी से काम करते हैं लेकिन पीड़ित महिलाओं व अन्य लोगों की पहुंच उन तक नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि हर पुलिस अधिकारी व अस्पताल के स्टाफ को पीड़ितों के प्रति संवेदना दिखाते हुए उनका भरपूर सहयोग करना चाहिए। इसके साथ ही सरकार का भी दायित्व है कि वह पीड़ित महिलाओं की सुनवाई की पुख्ता व्यवस्था करे और उसे न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त करे।

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