चौधरी चरण ङ्क्षसह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘‘जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि से खाद्य सुरक्षा और स्थिरता’’ विषय पर 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज रहे व विशिष्ट अतिथि आईसी एंड सीसी जर्मनी के एमडी डॉ. मेनफेर्ड कर्न मौजूद रहे।

कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने बताया कि जलवायु परिवर्तन किसानों की आय व खाद्यान्न उत्पादन को सीधा प्रभावित कर रहा है, जिसका असर आम-आदमी पर भी पडऩे लगा है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार ऐसी किस्में विकसित कर रहे हैं, जो तापरोधी, रोगरोधी व कम जलापूर्ति पर भी पोषण से भरपूर व अधिक पैदावार देने में सक्षम हैं, जिसमें हाल ही में विकसित गेहूं, मक्का, गन्ना, राया, बॉयोफोर्टीफाइड बाजरा, ज्वार, जई, मटर, चना व फाबाबीन की किस्में शामिल है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए व भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए मृदा के ऑर्गेनिक कार्बन को बढ़ाना, फसल अवशेषों को जलाने की बजाय खेत में ही मिलाना, फसल विविधिकरण अपना, क्लाईमेट स्मार्ट तकनीक जिसमें टपका सिंचाई, फव्वारा सिंचाई, प्रिशिजन खेती, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग, लेजर लेवलिंग, जीरो टिलेज व ड्रोन का इस्तेमाल भी शामिल है। जलवायु परिवर्तन से दुष्प्रभाव से बचने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल जिसमें कृषि एवं पशुपालन के संदर्भ में उत्पादकता के बनाए रखने हेतु व कृषि क्षेत्र में आर्थिक सुरक्षा को बनाए रखने हेतु एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाना होगा।

आईसी एंड सीसी जर्मनी के एमडी डॉ. मेनफेर्ड कर्न ने बताया कि कृषि विज्ञान, सभी विज्ञान शाखाओ की मदर है। पिछले वर्षों के मुकाबले भारत में कृषि शोध के क्षेत्र में सुविधाएं काफी बढ़ी है। कृषि शोध को लेकर दूरदर्शी विजन बनाने की जरूरत है। इस सम्मेलन में अगले 50 वर्षों में कृषि शोध के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। ऐसी कृषि पद्धतियां अपनाने की जरूरत है, जिनसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने में मदद मिले। गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता खाद्यान्न व चारे की सुरक्षा व स्थिरता के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे सम्मेलन में भाग लेने से शोध छात्रों को नैतिकता व ईमानदारी के साथ किसानों के हित में काम करने की प्रेरणा मिलती है।
सम्मेलन में अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।

डॉ. एसके पाहुजा ने सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर सम्मलेन में प्रस्तुत होने वाले शोध पत्रों को विशेषज्ञों की कमेटी द्वारा मूल्यांकन के आधार पर वोमेंटो व प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए। अंत में स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डॉ. केडी शर्मा ने उपस्थित अतिथिगणों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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