मुकाम : फाल्गुन अवावस्या पर आज मुकाम मेले में आयोजित खुला अधिवेशन भजनमय व कुलदीपमय नजर आया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए महासभा पदाधिकारियों ने जहां गुरू महाराज के उपेदशों का ज्यादा से ज्यादा प्रचार पर बल दिया, वहीं समाज के उत्थान, मजबूती व एकता पर बिश्नोई रत्न स्व. भजनलाल के महान कार्यों एवं उनके बाद कुलदीप बिश्नोई के प्रयासों का उल्लेख करते हुए एकजुटता पर बल दिया। कुलदीप बिश्नोई ने महासभा प्रधान देवेन्द्र बुडिया एवं महासभा पदाधिकारियों के विशेष कार्यों की भूरि-भूरि प्रंशसा करते हुए कहा कि देवेन्द्र जी हमेशा समाज के लिए तैयार रहते हैं जो भी कार्य उनको सौंपा जाता है, बड़ी ही तत्परता से उसको वे पूरा करते हैं। दुबई में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन की सफलता का सारा श्रेय उन्हें जाता है।
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने फाल्गुन अवावस्या के मेले पर खुले अधिवेशन को संबोधित करते हुए घोषणा की कि समाज के गणमान्य लोगों की मांग पर विस्तृत विचार विमर्श करने के बाद महासभा ने यह निर्णय लिया है कि बिश्नोई समाज में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर शोक अब 9 दिनों तक रहेगा। समाज में अलग-अलग जगहों पर लोग कोई 16 दिन, कोई 12 दिन, कोई 9 दिन तो कोई 7 दिनों की शोक बैठकें कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है समाज को एकजुट होकर एक तय समय तक महासभा द्वारा दी गई नियम संहिता को माने। अधिवेशन को महासभा के अध्यक्ष देवेन्द्र बुडिय़ा, फतेहाबाद के विधायक दुड़ाराम, फलौदी के विधायक पब्बाराम, नोखा के विधायक बिहारी लाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने संबोधित किया।

कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि आज यहां पर इतनी भारी संख्या में पहुंचने पर सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं ख्कि गुरू महाराज के प्रति हमारी श्रद्धा अटूट है और उनके द्वारा बताए गए आदर्शों पर हम सब मिलजुलकर आगे बढ़ रहे हैं और एक सर्वांगीण विकसित समाज के निर्माण में अपनी आहुति डाल रहे हैं। किसी भी समाज का विकास उसके आपसी सामंजस्य, एकजुटता, लग्रशील, ईमानदारी और दृढ़ता से ही संभव है। जिस प्रकार सदियों से हम पर्यावरण व जीव रक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य करते आ रहे हैं चाहे खेजड़ली बलिदान की बात हो या उससे पूर्व व उसके बाद भी अनेकों वीरों ने वृक्षों व जीवों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है और अपने सामाजिक स्तर पर धर्म नियमों को मानते हुए मानव जगत की रक्षा व कल्याण के लिए प्रकृति को सुरक्षित रखा है, परंतु आज इस वैश्वीकरण के दौर में बढ़ती आबादी व घटते प्राकृतिक क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए हमें और ज्यादा मजबूती, लग्नशीलता व दृढ़ता से जागरूक होकर पूरे विश्व में गुरू महाराज के उपदेशों को ले जाना पड़ेगा, क्योंकि प्रकृति की रक्षा सिर्फ बिश्नोई समाज या हिंदुस्तान का ही दायित्व नहीं है। पूरी दुनिया को एकजुट होकर मानवता की रक्षा के लिए प्रयास करने पड़ेंगे।
पर्यावरण व जीव रक्षा की दिशा में बिश्नोई समाज का गौरवशाली इतिहास है। जिस प्रकार भक्तिकाल के दौरान गुरू महाराज ने हमें नियम व उपदेश दिए और उनका हमने पालन किया तथा बहुत ही शुद्ध व सात्विक समाज के रूप में हम आज जाने जाते हैं। यह सब हमारे गुरू महाराज के आशीर्वाद और हमारी आस्था से ही संभव हुआ है। इस आस्था की लौ को प्राचीन काल में मां अमृता देवी सहित अन्य पर्यावरण योद्धाओं ने जलाए रखा। उसके बाद आजादी से पूर्व हमारे सामाजिक बुद्धिजीवियों ने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के रूप में, सेवक दल के रूप में और जीव रक्षा के रूप में संगठित होकर इसी आस्था को और मजबूत किया।

आजादी के बाद च्बिश्नोई रत्नज् युगपुरूष चौ. भजनलाल जी ने समाज को एक ऐसा मंच दिया, जिस पर एकजुट होकर समाज हर क्षेत्र में चाहे राजनीतिक हो, शिक्षा हो, सामाजिक हो, व्यवसाय, कृषि सहित हर स्तर पर बुलंदियों तक पहुंचाया। यह चौ. भजनलाल जी के महान प्रयास और दूरगामी सोच ही थी कि आज पूरे हिंदुस्तान ही नहीं, दुनिया में भी बिश्नोई समाज की एक विशेष पहचान है। दुनिया के किसी भी क्षेत्र में रहने वाला बिश्नोई समाज का व्यक्ति बहुत ही आदर से आज अगर चौ. भजनलाल का नाम लेता है, तो उसके पीछे विशेष कारण है, क्योंकि पाकिस्तान से आकर हरियाणा के एक छोटे गांव में रहकर पंच से लेकर मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री जैसे सर्वोच्च पदों को सुशोभित करना न तो साधारण बात है और न ही किसी साधारण व्यक्तित्व के लिए संभव है। उन्होंने यह सब गुरू महाराज के आशीर्वाद, आप सबके स्नेह और साथ-साथ अनेकों सामाजिक विभुतियां जैसे स्व. राम सिंह जी, पूनमचंद जी, रामनारायण जी जैसी साख्सियतों के सहयोग से राजनीतिक व सामाजिक बुलंदियों को छूआ और समाज से मिले इस असीम प्यार को उन्होंने अपने कार्यों से कई गुणा करके समाज को लौटाया। इतने ऊंचे कद पर रहते हुए भी वे समाज के हर व्यक्ति व उसकी बात पर न केवल गौर करते थे, बल्कि मुझे भी समाज को सर्वोपरि रखने की पे्ररणा देते थे। उनकी उसी पे्ररणा की बदौलत आज मुझे भी आपका असीम स्नेह मिल रहा है, जिससे की मैं भी हमेशा इस प्रयास में रहता हूं कि समाज के गौरव को देश व दुनिया में और बढ़ाउं। जैसा की आप सबको मालूम है पहले हिंदुस्तान के विभिन्न प्रदेशों में हमने पर्यावरण व जांभाणी साहित्य के सम्मेलन आयोजित किए हैं और अब हाल ही में दुबई में पहले अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया। इसके लिए मैं समस्त अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पदाधिकारियों व जांभाणी साहित्य अकादमी के पदाधिकारियों को बधाई देता हूँ। उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में भी हम दुनिया के अलग-अलग देशों में ऐसे पर्यावरण सम्मेलन कर गुरू महाराज के उपदेशों का प्रचार-प्रसार करें और दुनिया को बताएं कि इस पर्यावरण संरक्षण आंदोलन का नेतृत्व बिश्नोई समाज सदियों से करता आ रहा है और आगे भी करता रहेगा। जिस प्रकार से मुझे पूरे देश और दुनिया से इस पर्यावरण सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं और बधाई संदेश मिले तो मेरा भी सिर गौरव से ऊंचा हो गया।

इसके साथ-साथ आज मुकाम में आए सभी समाज के बंधुओं से मैं कहना चाहता हूँ कि जिस प्रकार से पूर्व में हमने एकजुटता से राजनीतिक व सामाजिक बुलंदियों को राष्ट्रीय स्तर पर छुआ है, उसी प्रकार भविष्य में भी हमारी एकजुटता की डोर को और ज्यादा मजबूती से बांधकर हम राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर च्बिश्नोई समाजज् के गौरव को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। इसके लिए अगर कोई सबसे ज्यादा जरूरी चीज है तो वह समाज की एकजुटता ही है।
हमारे गुरू महाराज के उपदेशों, समाज की एकजुटता व ताकत से ही हम दुनिया में पर्यावरण संरक्षक के आंदोलन का न केवल नेतृत्व कर सकते हैं, बल्कि देश्, दुनिया को एक नई राह भी दिखा सकते हैं।
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